[This article written by me was first published on my facebook
Hindi page in Hindi. Follow link: https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=864776270310948&id=856959071092668
to view this there. Now that article after necessary
edits is published on this Blogger with the English translation so that
everyone can read it.]
प्रिय वैदिक ज्योतिष शास्त्र के विद्यार्थीयों एवं शोधकर्त्ताओं !
[Dear learners & researchers of
Vedic Jyotish]
(१) आज मैं आपके समक्ष वैदिक ज्योतिष शास्त्र में वर्णित एक ऐसी दशा का
उल्लेख करता हूँ जिसका ज्ञान कुछ ही दैवज्ञों को है। जहाँ तक मेरा विचार है यह दशा
किसी सोफ़्टवेयर में भी उपलब्ध नही है।
[(1) Today I am describing before
you a Dasha which is known to few superior astrologers only. In my opinion this
Dasha is not available in any software.]
(२) इससे पूर्व भी मैं इस चमत्कारी दशा का उल्लेख अनेकानेक ज्योतिष
शास्त्र के विद्यार्थीयों एवं प्रतिष्ठत ज्योतिषियों से कर चुका हूँ एवं उन सभी को
इस दशा को प्रयोग में लाने के लिये प्रेरित भी कर चुका हूँ और अपने अनुभव पर आधरित
इस दशा को कैसे प्रयोग में लाया जाय यह भी निर्देशित कर चुका हूँ।
[(2) Before this too I have
described this miraculous Dasha to so many students of Jyotish and reputed
astrologers and inspired all of them to use this Dasha too and directed them
about how to use this Dasha based on my experience]
(३) यह दशा ज्योतिष शास्त्र
कि अनुपम पुस्तक मानसागरी में वर्णित एवं प्रशंसित सन्ध्या दशा है और इसके सन्दर्भ
में निम्न श्लोक दिया है:
परमायुर्दशांश च स्फुटं
सन्ध्या भवेत्ततः।
स्वलग्नाधिपतेरादौ
ततोऽन्येषु च॥
[(3) This dasha described &
praised in an admirable Jyotish book Maansagri is Sandhya Dasha and in this
context the following Shloka is given:
Paramayurdashansh ch sphutam Sandhya Bhavetath !
Swalagnaadhipateraado tatoanyeshu ch!!]
हिन्दी अनुवाद: - परमायु का दसवा भाग ही
सन्ध्या दशा के वर्ष हैं।सर्वप्रथम लग्नेश की दशा होगी ततोपरांत ग्रह वार क्रम से अन्य ग्रहों की दशा होगी।
[English Translation: - The 10th
part of absolute age is the years allotted to Sandhya Dasha. The very first
dasha will be the lord of rising sign followed by the Dasha of other planets
according to weekday’s pattern.]
(४) भावार्थ: - हे वैदिक ज्योतिष शास्त्र के विद्यार्थीयों एवं शोधकर्त्ताओं!
[(4) Gist: - O learners & researchers of Jyotish
Shaastra!]
(४.१) श्लोक में वर्णित
परमायु का अर्थ है विंशोत्तरी मतानुसार १२० वर्ष और इस १२० वर्ष परमायु का दसवा
भाग यानी १२ वर्ष अतैव सन्ध्या दशा में प्रत्यैक ग्रह की दशा १२ वर्ष होती है।
[(4.1) The absolute age described in
Shloka means 120 years as per Vinshottri Dasha and the 10 part of 120 years the
12 years so in Sandhya Dasha every planet has a Dasha of 12 years.]
(४.२) उद्धाहरण स्वरूप मेष
लग्न की कुण्ड्ली में सर्वप्रथम १२ वर्ष की उसके स्वामी ग्रह मंगल की दशा होगी एवं
उसके पश्चात बुध की, गुरु की, शुक्र की, शनि की, राहु की, केतु की, सूर्य की एवं अंत में चंद्र की होगी। इसी प्रकार अन्य लग्नों की भी जानें।
[(4.2) For example in a horoscope
with Aries rising the first Dasha of 12 years will be of its lord Mars followed
by Mercury, Jupiter, Venus, Saturn, Rahu, Ketu, Sun and at last Moon. In case
of other rising signs follow similar approach.]
(४.३) इस प्रकार सन्ध्या दशा
में इन नवग्रहों के कुल वर्ष १०८ हो जातें हैं। इस सन्दर्भ में यह ध्यान रखना आवश्यक है कि राहु एवं केतु किसी भी लग्न
के स्वामी नही होते अतैव सन्ध्या दशा का प्रारम्भ राहु या केतु से नही हो सकता।
[Thus in Sandhya Dasha the total
number of years of nine planets becomes 108. In this context it is essential to
remember that Rahu & Ketu have no lordship of any rising sign so Sandhya
Dasha can never start with Rahu or Ketu.]
(४.४) क्योंकि यह नक्षत्र दशा
नही है अतैव भुक्त एवं भोग्य दशा निकालने का प्रश्न ही नही उठता।
[(4.4) Because it is not a Nakshatra
Dasha so the calculation of consumed and balance of Dasha becomes out of
question.]
(५) अब मैं वैदिक ज्योतिष
शास्त्र के विद्यार्थीयों एवं शोधकर्त्ताओं के हितार्थ इस लेख में वर्णित सन्ध्या
दशा पर अपने शोध के कुछ अंश प्रस्तुत करता हूँ:
[(5) Now for the benefit of learners
and researchers of Vedic Jyotish I am sharing some points based on my
researches about Sandhya Dasha described in this article:]
(५.१) प्रत्यैक सन्ध्या
ग्रहदशा के प्रारम्भ की कुण्डलियां निर्मित करो और देखो कि दशाप्रवेश का चंद्र
जन्मकुण्ड्ली के किस भाव में है तो यह प्रारम्भ हुयी ग्रहदशा जन्मकुण्ड्ली के उस
भाव का शुभाशुभ फल व्यक्त करेगी।
[(5.1) Erect horoscope at the
commencement of Sandhya Dasha of every Planet and observe in which house the
Dasha Commencement Moon appears in one’s natal chart then so commenced Dasha of
Planet will give the auspicious and inauspicious results of that house in natal
chart.]
(५.२) यदि सन्ध्या ग्रहदशा के
प्रारम्भ का चन्द्र जन्मकुण्ड्ली में ग्रहदशा के स्वमी ग्रह पर स्थित है तो आरम्भ
हुयी दशा जन्मकुण्ड्ली में ग्रहदशा के स्वामी ग्रह की नवांशादि वर्गों की स्थिति का भी फलबोध करवायगी।
[(5.2) If the Moon at the
commencement of Sandhya Dasha of a Planet appears on the natal position of that
Planet ruling the commenced Dasha then the commenced Dasha will reflect results
of the occupancy of that Dasha ruler Planet in Sub divisional charts like Navansh etc.]
(५.३) बहुदा यह सन्ध्या
ग्रहदशा ग्रहों के नैसर्गिक कारकत्व का भी फलबोध करवाती है।
[(5.3) Many times this Sandhya Dasha
of Planet reflects the results of natural significances allotted to Planets]
लेखक, चिंतक
एवं विचारक
विशाल अक्ष
सोमवार, मार्च २०, २०१६, प्रातः ०२:२८
[Writer, Thinker & Philosopher]
Vishal Aksh
Monday,
March 20, 2016, 02:28 AM