"कैसे होता है
फलित ज्योतिषी सूत्रों का निर्माण?" - विशाल अक्ष द्वरा रचित एक लेख
द्वितीयस्थो
यदि कुजास्तर्कशास्त्रविशारदः।
तत्रैव
च भवेदिन्दु सूत्रज्ञो यज्ञको भवेत्॥
[Dwiteeyastho Yadi
Kujastarkshaatrvishardah!
Tatraiv Ch Bhevindu Sutrjo
Yajko Bhavet!!]
(१) उपरोक्त श्लोक ज्योतिष के अनुपम ग्रन्थ
भावार्थरत्नाकर से है। इस श्लोक का सरल शब्दों में अर्थ कुछ इस प्रकार है,
"यदि मंगल द्वितीय भाव में है तो जातक तर्क शास्त्र का अध्यनकर्ता
होता है। द्वितीयभावास्थ यदि चन्द्र हो
तो जातक पण्डित अथवा पुरोहित होता है।"
(1) The aforesaid
Shloka is from an unrivalled Jyotish Text the Bhaavartha Ratnakara. The meaning
of this Shloka in simple wordings is, “If Mars in 2nd House then the
person learner of the logic. If there be Moon in 2nd House the
person is Pandit or Purohita.”
(२) यदि सूक्ष्मरूप से इस श्लोक का विचार किया
जाय तो ज्योतिष में सूत्रों का निर्माण कैसे होता है यह स्पष्ट होता है:
(2) If this Shloka
is taken for minute consideration then it reveals how the rules of predictive
Jyotish are made:
(२.१) कुज या मंगल श्री शिवमहापुराण के अनुसार
भगवान शिव के पसीने की बूंद के पृथ्वी पर पतन के स्वरूप प्रकट हुआ था एवं ज्योतिष
के अनुसार यह मंगल भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को दर्शाता है। कार्तिकेय देवताओं
के सेनापति है जो अपने युद्धकौशल में प्रवीणता के कारण विख्यात है एवं ब्राह्मणो
के प्रिय होने के कारण सुब्रह्मण्यम भी कहा जाता है। यह सामान्य ज्ञान है कि बिना
वाकचातुर्य के उस वैदिक काल में कोई भी व्यक्ति ब्राह्मणो का प्रिय नही हो सकता
था।
(2.1) According to
Shri Shiva Mahapurana Kuja or Mangal (Mars) was appeared when a droplet of
sweat of Parmatma Shiva fell on earth’s surface and according to Jyotisha this
Magal (Mars) represents Shiva’s son Kartikeya. Kartikeya who is famous for his
expertise in strategics is the Army Commander of Devta and because of being
admired by Brahmins he is known as Subramaniam. This is a common sense that
without the cleverness in speech no one could become the admirable of Brahmins
in Vedic Era.
(२.२) जब यहि युद्ध कौशल में प्रवीण मंगल
वाकस्थान (द्वितीय भाव) में विराजमान होगा तो सुब्रह्मण्यम होने के कारण वाक में
अपने नैसर्गिक गुण तीक्ष्णता से भी संपन्न होगा अतः वाणि में तीक्ष्णता का समावेश
करेगा पर इसका अर्थ यह कदापि नही है कि वाणि में अभद्रता का संचार होगा।
(2.2) When this
Mangal (Mars) being expertise in strategics sits in 2nd house then
also being Subramaniam it will also be endowed with its natural character of
Sharpness so it will include Sharpness to Speech but it does not mean there
will be the flow of indecency in the speech.
(२ .३) वाकस्थान में विराजमान मंगल अपनी विशेष
दृष्टियों से बुद्धि के भाव पंचम भाव एवं मर्यादा (धर्माचरण) के भाव नवम भाव से
प्रसारित करेगा। यह सूक्ष्म रूप से विचार करने का विषय है कि इस स्थति में मंगल
पंचम भाव से दशम एवं नवम भाव से छटे भाव में होगा जो इन दोनो भावों से शुभ स्थिति
को दर्शाता है अतैव अपनी विशेष दृष्टियों (४थी एवं ८वी) के माध्यम से वाक स्थान को
बोध एवं मर्यादा प्रदान करेगा।
(2.3) The sitting
down of Mangal (Mars) in the house of speech aspects 5th house the house
of intelligence and 9th House the house of limits (Vedic Religious
Duties). This is the subject of minute consideration that under such situations
Mangal (Mars) will be 10th from 5th house and 6th
from 9th house and that indicates auspicious position from these two
houses so it will give to the Speech Of House the comprehension and limits on
account of its special Aspects (4th & 8th).
(२.४) बोध एवं मर्यादा का जब वाणि में समावेश हो
जाता है तब इस अवस्था में मंगल द्वितीयस्थ हो जातक को तर्कशास्त्र में निपुण कर
तार्किक बना देता है।
(2.4) Whenever
there is the inclusion of comprehension and limits in speech then under such
situation if Mangal (Mars) sits in 2nd house then it makes a person
Logician after making him well versed in Rules Of Logic
(३) वैदिक साहित्यानुसार चन्द्रमा के पिता ऋषि
अत्रि थे अतः चन्द्रमा को ब्राह्मणत्व के संस्कार अपने पिता ऋषि अत्रि से प्राप्त
है तथा यहि चन्द्रमा प्रथम ब्राह्मण ब्रह्मदेव के भी अवतार है। ज्योतिष ग्रंथो
के अनुसार द्वितीय भाव आस्तिकता को भी दर्शाता है। अतैव द्वितीयभावास्थ होकर
चन्द्रदेव जातक को पण्डित अथवा पुरोहित बना देंगे। यहि उपरोक्त श्लोक की अन्तिम पंक्ति का
भाव है।
(3) According to
Vedic Literature rishi Atri was the father of Chandrama (Moon) so Chandrama
(Moon) got the Brahmin Sanskara from his father rishi Atri and this Chandrama
(Moon) is the Avatara of Brhmadeva. According to texts on Vedic Jyotish 2nd
house also indicates Vedic Theism. Thus while in 2nd house
Chanderadeva (Moon) will make a person Pandit or Purohita. This is the gist of
the last line of the aforesaid Sanskrit Shloka.
Written on Friday,
December 21, 2018 at 18:11 (IST) by
Vishal Aksh
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