“The Demarcated
Future In The Perspective Of Chanakya Niti” – an interpretation by Vishal Aksh
"चाणक्य नीति के परिपेक्ष्य में निर्धारित भविष्य” - विशाल अक्ष द्वारा एक
ज्योतिषीय विवेचना
O all who always take
the milk like a Swan from the endless ocean of Vedic Jyotish!
हे हंस सदृश वैदिक ज्योतिष के उस
अनन्त समुद्र से निरंतर दुग्धपान करने वाले मनुष्यों!
(1) If you as
being the Astrologer are asked about the nature of those queries asked by your
clients and you reply them Astrologically. In no time you will say that in
majority the Queries are about Life, Activities, Wealth, Education and Death. Very few Queries relate to the Family Members.
(१) आप यदि ज्योतिषी हैं और आप से उन प्रश्नो के स्वरूपों के संदर्भ
में पूंछा जाय जो विभिन्न जातकों ने आप से किए हैं और आपनें उनका ज्योतिष के आधार
पर उत्तर दिया हो। बिना एक क्षण विलंब किए आप कि अधिकांशतयाः प्रश्न आयु, कर्म, वित्त, विद्या
या मृत्यु के संदर्भ में होतें हैं। बहुत कम प्रश्न जातक अपने परिवार
के सदस्यों के संदर्भ में करता है।
(2) The Queries
relating to Life also includes protection of life up to good longevity. Queries
relating to successes and failures in profession, nature of profession,
transfers in job and all the queries concerning profession come under Activities.
Incoming of finances is perhaps the only Query oft asked. Natives above
seventies ask about their death. Middle Aged natives generally produce their
children’s horoscopes to know about the future of the Academy of their children
and the queries about Money/Wealth are generally being asked by the Natives of
all Age Groups. The Queries related to remaining houses of the Horoscope like
religious rituals are asked by very few Natives and this holds good in case of
Queries relating to Sadhana.
(२) आयु के प्रश्न में आयु के एक अच्छे आयर्दाय तक सुरक्षा समाहित
होती है। वृत्ति में सफलता या असफलता, वृत्ति का स्वरूप, वृत्ति
में परिवर्तन तथा सभी प्रकार के वृत्ति सम्बन्धित प्रश्न कर्म प्रश्न के अन्तर्गत
आतें हैं।
सामान्यत्यः सत्तर वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति मृत्यु
सम्बन्धित प्रश्न पूछते हैं। मध्यम आयुर्वर्ग के व्यक्ति अपनी सन्तानों का जन्मांग
उनकी विद्या सम्बन्धित भविष्य को जानने हेतु दिखवातें हैं। मुद्रा/धन
सम्बन्धी प्रश्न सामान्यतयः सभी अयुर्वर्ग के जातक पूछते रहतें हैं। कुण्ड्ली के अन्य भाव सम्बन्धित प्रश्न यथा धर्मकार्य अदि बहुत ही
कम जातक पूछतें हैं तथा यही बात साधना सम्बन्धी प्रश्नो पर भी लागु होती है।
(3) This is true
that many Natives ask Queries relating to Landed Acquisitions too but mind it
that in broader sense this comes under the Queries relating to Wealth.
(३) यह सत्य है कि अधिकांश जातक भूमि प्राप्ति सम्बन्धी प्रश्नों को
भी पूछते हैं पर विस्तृत रुप से यह धन सम्बन्धी प्रश्नों में आता है।
(4) Then it may be
concluded that Natives come to an Astrologer to know about Age, Profession,
Money, Academy and death and these are the basic Queries.
(४) यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जातक एक ज्योतिषी के पास आयु, कर्म, वित्त, विद्या
एवं मृत्यु
और यही मूल प्रश्न होते हैं।
(5) In Chanakya
Niti Chapter: (IV) Shloka: 1, what Aacharya Chanakya writes is given below:
Ayuh Karm Ch Vittam Ch Vidya
Nidhanmev Ch!
Panchetani Hee Srejyantea
Garbsthseiv Dehinih!!
Translation In
English: Age, Karma,
Wealth, Education and Death these five of a person are formed when that person
is in the womb of his mother.
Note: It is explained earlier in this Article
that basically these five Queries are asked by Native in one form or the other.
(५) चाणक्य नीति अध्याय: ४, श्लोक: १ में जो आचार्य
चाणक्य लिखतें हैं वह निम्न है:
आयुः
कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च।
पञ्चैतानि
हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः॥
हिन्दी अनुवाद: आयु,
कर्म, वित्त, विद्या
एवं निधन ये पाञ्चो तो किसी भी व्यक्ति के उसी समय निर्मित हो जातें है जब वह अपनी
माता के गर्भ में होता है।
टिप्पणी: यही पाञ्च मूल प्रश्न किसी न किसी रूप में जातक पूञ्छता है।
(6) Acharya
Chanakya was not only the Vedic Thinker but also a great Astrologer of his
time. He was the advocate of Pindayurday System of Calculating the age and did
necessary amendments in Yavana’s thought about Kumbh Lagna in Jyotish.
(६) आचार्य चाणक्य अपने समय के मात्र वैदिक चिन्तक ही नही थे अपितु एक महान ज्योतिषी भी थे जो आयु गणना
के पिण्डायुर्दा प्रारूप के समर्थक थे एवं उन्होने ज्योतिष में यवनो के कुम्भलग्न
के सन्दर्भ में मत का भी संशोधन किया।
(7) This Sanskrit
Shloka reflects the grand knowledge of Acharya Chanakya about Jyotish as the
great Achary appears to advocate the Concept of Garbh Kundli in the
determination of Age, Karma, Wealth, Education and Death of a Native.
यह संस्कृत श्लोक आचार्य चाणक्य
के ज्योतिष के भव्य ज्ञान को प्रकट करता है जिसमें महान आचार्य गर्भ कुण्डली
प्रारूप से जातक के आयु, कर्म, वित्त, विद्या
एवं निधन निर्धारित करते प्रतीत होते हैं।
(8) This Sanskrit
Shloka of Chanakya Niti authenticates my researches on Converse Vedic
Progressions in which the fate of any Native starts implementing before 120
days of his birth, his fate starts clearing somewhat more from Nine days
before his birth and a true picture of his fate starts forming from about Eight
hours before his birth. In these periods every Native remains in the womb
of his mother.
(८) चाणक्य नीति के इस संस्कृत के श्लोक ने मेरे द्वारा विलोम वैदिक
प्रगमन पर किए गए अनुसन्धानों को अनुमोदित किया जिसमें किसी भी जातक के भाग्य का
निर्धारण उसके जन्म से १२० दिन पहिले होना प्रारम्भ हो जाता है, जन्म
के नौ दिन पहिले जातक का भाग्य कुछ अधिक स्पष्ट होना प्रारम्भ हो जाता है
एवं जन्म से आठ घण्टे पूर्व जातक जातक के भाग्य का वास्तविक चित्र बनना
प्रारम्भ हो जाता है। इन सभी अवधिओं में प्रत्यैक जातक अपनी माता के गर्भ में होता
है।
(9) The aforesaid
Sanskrit Shaloka only in Translated form from Chanakya Niti has been seen by me
from past few years on the Facebook timeline of various Astrologers established
as well as struggling but not a single one has not been found to Quote the
actual Shaloka with its interpretation so far.
(९) चाणक्यनीति के उक्त संस्कृत श्लोक का मात्र अनुवाद ही मैने
विभिन्न प्रतिष्ठित एवं सङ्घर्षरत ज्योतिषिओं की फ़ेस्बुक विगत कुछ वर्षों में मेरे
द्वारा देखा गया पर किसी एक ने न तो श्लोक दिया न ही इसकी व्याख्या की।
Written on Sunday,
October 13, 2019 at 09:57 (IST) by:
Vishal Aksh
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