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भगवान पाराशर अपने द्वारा रचित ग्रन्थ
"बृहित्पाराशरहोराशास्त्रम्" में लिखतें हैं: - सुतेशे मातृभवने
चिरं मातृसुखं भवेत। लक्ष्मीयुक्तः सुबुद्धिश्च सचिवोऽप्यथवा गुरुः॥
[Lord Parashara in his “Brihitparasharhorashaastram”
writes, “Sutesh Matribhavane chiram Matrisukham Bhavet. Lakshmiyuktah
Subuddhisch Sachivopyathva Guru”]
हिन्दी अनुवाद:- जिसकी
कुण्ड़्ली पुत्रेश मातृभाव में हो। ऐसा
जातक चिरकाल तक अपनी माता का सुख प्राप्त करता है, वह
धनी, सात्विक
बुद्धि वाल, सचिव
या गुरु होता है॥
[English
Translation:- Anyone having 5th lord in 4th house such
person gets blessings of his mother for a very long time, he is rich, of pure
intelligence, secretary or a Guru]
व्याख्या: - हे ज्योतिष विद्यार्थीयों एवं
शोधकर्त्ताओं!
तनिक उपर्लिखित श्लोक एवं उसके अर्थ पर विचार करने के पश्चात
अपना ध्यान पञ्चमभाव के नैसर्गिक कारक्त्व पर केन्द्रित करें तो आप पायेंगे
[Interpretation:
- O learners and researchers of Vedic Jyotish!
After
going through the aforesaid Shloka and its meaning for a while then concentrate
on the natural contents of 5th house then you will get]
(१) किसी भी कुण्डंली में संतानभाव, बुद्धिभाव
एवं त्रिकोणभाव ही पञ्चमभाव की संज्ञायें हैं और पञ्चमभाव का नैसर्गिक कारक गुरु
है।
[(1)
In any Horoscope fifth house stands for children, wisdom and a triangular house
and it comes under the natural jurisdiction of Jupiter]
(२) यह गुरु पञ्चमभाव का
नैसर्गिक कारक होकर कालपुरुष कुण्ड़्ली के चतुर्थ भाव यानी कर्क राशि में उच्च का
होता है एवंऽस्तु पञ्चमेश का चतुर्थभाव में होना इसी सिद्धांत का अनुगमन करता है।
[(2) This Jupiter signifying 5th
house gets exalted in 4th house Cancer of natural zodiac so the
placement of 5th lord in 4th house follows this theory.]
आप सभी विद्यार्थीयों के हित मे मैं इस गुरु योग के संदर्भ में अपना शोध
प्रस्तुत करता हूँ:
[For the benefits of all of you
students I am presenting my findings about this Guru Yoga:]
(१) यदि पञ्चंभाव का स्वामी गुरु के अतिरिक्त कोई अन्य ग्रह हो तो उस
पञ्च्मेश पर या तो गुरु कि दृष्टि हो या पञ्च्मेश की गुरु की युति हो तो यह गुरु
योग और प्रबल होजाता है।
[(1) If the 5th lord is a
planet other then Jupiter and it receives the aspect of Jupiter or in
conjunction with Jupiter then this Guru Yoga becomes more powerful.]
(२) इस गुरु योग को अन्य वर्गकुण्ड़्लीयों में यथा सलाह एवं व्याख्यान की
प्रतिभा के लिये भांश (वर्ग-२७) में, शैक्षणिक व्याख्यान की योग्यता के लिये सिद्धांश (वर्ग-२४) में एवं आध्यात्मिक व
धार्मिकता के क्षेत्र में गुरु बनने के लिये विंशांश (वर्ग-२०) व पंचमांश (वर्ग- ५) में भी देखें। इसे दशमांश (वर्ग-१०) में भी देखना चाहिय।
[Judge this Guru Yoga in other Sub
Divisional Charts like Bhansh(D27) for the talents of lecturing, Siddhansh
(D24) for the eligibility of academic lecturing and in Vinshansh (D20) & Panchmansh (D5) for
becoming Guru in the fields of spirituality and religion. It should also be
judged in Dashmansh (D10).]
लेखक, चिंतक एवं विचारक
विशाल अक्ष
गुरुवार्, मार्च १७, २०१६,रात्री: २३:३६(भारतीय मानक समय)
Writer,
thinker & philosopher
Vishal Aksh
Thursday,
March 17, 2016 at 23:36(IST)