(१) जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में कालपुरुष का
अध्यन फलित करने में उपयोगी है उसी प्रकार वर्षफल में वर्षपुरुष का अध्यन
परमावश्यक है।
(1) As in Vedic
Jyotish the study of Kaalpurusha (Time Personified) is useful for predictive purposes
the study of Varshpurusha (Year Personified) is highly essential in
Varshphala (Vedic Annual Horoscope)
(२) मैं समझता हूँ कि अब आपकी जिज्ञासा उपरोक्त
वर्षपुरुष के सन्दर्भ में तीव्र हो गई होगी यथा वैदिक ज्योतिष में कहीं न वर्णित
यह वर्षपुरुष वस्तुतयः कौन है।
(2) I think now
you curiosity have increased much regarding aforesaid Varshpurusha (Year Personified)
like who this Varshpurusha (Year Personified) nowhere described in Vedic
Jyotish is in fact.
(३)
यहाँ मैं अपने वैदिक ज्योतिष के अन्तर्गत आने वाले वर्षफल पर अपने दीर्घकालीन
अनुभवओं एवं अनुसन्धानों के आधार पर कुछ वाक्यों को लिखता हूँ जो वर्षपुरुष की
स्थिति को पूर्णरूपेण स्पष्ट करेंगे:
(3) Here I write
few sentences on the basis of my prolonged experiences and researches on
Varshphala (Vedic Annual Horoscope) coming under Vedic Jyotish and which will
clear the situation of Varshpurusha (Year Personified):
(४) भगवत गीता में वर्णित है कि आत्मा अजर एवं
अमर है तथा यह वस्त्रों कि तरह शरीर को हर जन्म में बदलता है। आत्मा निर्विकार है।
(4) It is
described in Bhagwata Geeta that Aatma (Spirit) is Ajara (Independent
of Agedness) and Amara (Immortal). Aatma (Spirit) is Nirvikara
(Devoid Of Disorders).
(५) वैदिक ज्योतिष में वर्णित है कि सूर्य आत्मा
है एवं लग्न शरीर है। एक
निर्याण वर्षारम्भ में सूर्य ठीक जन्मकालीन राशी:अंश:कला:विकला पर पहुँच जातें
हैं अतैव निर्विकार रहतें हैं एवं जीवन पर्यन्त प्रत्येक वर्षारम्भ इसी स्थिति में
निर्विकार रहतें हैं। प्रत्येक निर्याण वर्षारम्भ पर शरीर रुपी लग्न को सूर्य
वस्त्र की तरह बदल लेतें हैं। इस प्रकार के चिन्तन ने मुझे वर्षपुरुष की परिकल्पना
करने के लिए बाध्य कर दिया।
(5) In Vedic Jyotish
the Surya (Sun) is described as Aatma (Spirit) and Lagna
(Sidereal Ascandent) as Sharir (Body). Surya (Sun) reaches at
its natal Sign:Degree:Minute:Seconds at the commencement of Sidereal
Year so it remains Nirvikara (Unaltered) and it remains Nirvikara
(Unaltered) at the commencement of every Sidereal Year throughout the life. On
the commencement of every Sidereal Year Surya (Sun) changes the Lagna
(Sidereal Ascendant) resembling the Sharira (Body) like the changing
of a Vastra (Uniform). This thinking of mine compelled me to form the hypothesis
about the Varshpurusha (Year Personified).
(६) संक्षेप में मैं लिखना चाहाता हूँ कि
वर्षपुरुष की सूर्य आत्मा है, वर्षलग्न शरीर है, चन्द्रमा
मन है, मुन्था प्रकृति है, वर्ष योग प्राण है, सहम
इच्छाऐं हैं, वर्षेश उच्चता है तथा वर्ष दशाऐं भ्रमण मार्ग
हैं।
(6) In short I
like to write that Surya (Sun), Varsh Lagna (Sidereal Annual Ascendant),
Chandrama (Moon), Muntha (Vedic Progressed Ascendant), Varsh (Annual) Yoga,
Saham (Vedic Lots), Varshesh (Year Lord) and Varsh Dasha (Annual Dasha) are respectively
the Aatma (Spirit), Sharir (Body), Mana (Mind), Prikriti (Nature), Prana (Heart
Beat), Ichcha (Desires), Uchchata (Highness) and Travelling Paths of Varshpurusha
(Year Personified).
(७) टिप्पणी:
वर्षलग्न, वर्ष
दशा, मुन्था को जातक
ज्योतिष के आधार पर अपमानित करने वाले सभी तथाकथित ज्योतिषी एवं ज्योतिषी
प्रशिक्षक मेरे द्वारा लिखे इस आलेख को पढ कर या तो सुधर जायेंगे या अपने बाल नोच
लेगें।
(7) Note:
After reading this Article written by me all the so called Astrologers and
Coaches of Jyotish will either become improved or will pluck their hairs with
anger.
Written on Friday,
August 23, 2019 at 09:44 (IST) by
Vishal Aksh
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