Sunday, February 23, 2020

"वसुन्धरा की लेखिनी एक प्रक्रिया है" - डा शार्दुल श्रेष्ठ द्वारा रचित






क्या लिखू कितना लीखू कैसे लिखू
,
यह आपने मे दुषकर क्रिया है
यह माता स्वरूप है
इसके भिन्न भिन्न दर्शन विभिन्न रुप है
यह शाशवत जीवन दायिनी सक्रिया है
इसको नमन है और इसका शुक्रिया है
यह हम सभी को प्राणप्रिया है
वसुन्धरा की लेखिनी एक प्रक्रिया है

आगंतुक कितने आते है
कितनो का भार उठाती है
कितनो का धोखा सहेती है
कितनो का विष पी जाती है
कितने इसे नर्क बनाते है
कितनो को यह स्वर्ग दिलाती है
ये शिवत्व लिए अन्नपूर्णा है
ये त्यागमूर्ति सीता है
इसे समझना एक अनुभवी क्रिया है
वसुन्धरा की लेखिनी एक प्रक्रिया है

खेतो खलियानो का आन्नद
पर्वत का है परमान्नद
है ठण्डी हवाओ की सौगन्ध
यह गर्म हवाऔ का भी छन्द
रेगिस्थान मे भी है विविधता
कुछ प्रजाति का जीवन वहा सधता
अनगिनत विविधता लेखनी जटिल क्रिया है
वसुन्धरा की लेखिनी एक प्रक्रिया है

नभ पर तेरे दिखता आकाशगंगा का प्रतिबिम्ब
दिखते तारे और चन्दा जो सुर्य की रोशनी का बिम्ब
समा बान्धजाता रात्री मे नभ का यह निशान
और दिवस मे दिनकर फैलाता उर्जा गतिमान
कितनी पावन माता तू बताना कठिन क्रिया है
वसुन्धरा की लेखिनी एक प्रक्रिया है

है सप्त महाद्वीप धारक माता तुझे है वन्दन
धन्य है वो वीर जो है अनमोल रत्न धन
दिया तूने मुझे जीवन मैने बनाया उसे गायन
कैसे अन्त करु ये अन्नत की प्रक्रिया है
वसुन्धरा की लेखिनी एक प्रक्रिया है।


कविता रचनाकार: 

डा शार्दुल श्रेष्ठ


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उप्रोक्त लिखित कविता: "वसुन्धरा की लेखिनी एक प्रक्रिया है" के रचनाकार डा शार्दुल श्रेष्ठ एक नवोदित कवि एवं लेखक होने के साथ एक डाकटर (दंतचिकितसक​) हैं। युवा कवि के रूप में अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जनता में देशभक्ति, राष्ट्रगौरव एवं हिन्दी भाषा प्रेम का संचरण करने में सर्वदा तत्पर रहतें हैं